जिनका लहू वतन के काम आता हैं।

 कोशिश करी मेरे घर वालो ने मुझे रोकने की 
पर मेरी मातृभूमि की सेवा 
की जिद के आगे उनकी एक न चली 
विदा कर दिया मेरे घर वालो ने मुझे 
देश की सेवा करने को 
और मेरे पास कुछ नहीं था 
सिवाय उनसे लिपट के रोने को। 


तारीफे तेरी फैली हुई है 
हर जगह है आसमान में 
औकात क्या है मेरी 
जो लिखूं तेरे सम्मान में 
और जहा की मिटटी को भी चूमा जाता हो 
हा छाती थोक के कहता हूँ रहता 
हूँ मैं हिंदुस्तान में।। 


रे म्हारे फौजी भाइयाँ के दिल पे ठेस पहुंचे 
ऐसा कोई कदम नी ठावेंगे  
अर इबके भर्ती आनदे 
सारे के सारे बॉर्डर पे ही पावेंगें।। 



जितना भी लहू था तन में 
बहा दिया वतन के वास्ते 
एक भी कतरा न रहने दिया 
तन के वास्ते 
आती तो है मोत सभी की 
मरते तो है सभी लोग `  
पर मौत है वही 
जो आये वतन के वास्ते।। 


बहुत खुश नसीब वाले होते है वे लोग 
जिनके हिस्से में ये मुकाम आता है 
आओ झुख कर करे सलाम उन्हें 
जिनका लहू वतन के काम आता हैं।। 














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