बिन बताये उसने क्यों ये दुरी करदी
बिछड़ कर उसने मोहब्बत ही अधूरी करदी
मेरे मुक़्क़दर में गम आये तो क्या हुआ
खुदा ने उसकी तो ख्वाइश पूरी करदी।
जिंदगी तू मुझसे क्या चाहती है
तू मुझे ही सिर्फ ऐसे ख्वाब क्यों दिखाती हे
मेरा भी सबसे मिलने को दिल करता हे |
के वो कहता हे की मै तेरे लिए क्या नहीं कर सकता
मगर यार मै तुझसे शादी नहीं कर सकता
तू हे पढ़ी लिखी मै हु अनपढ़ जाहिल सा
तू हे जज्बातो की नहर मै हु गम के सागार सा
और मेरी जान तुझसे मोहब्बत थी
इसी लिए तो कम मिला करता था
वरना मै तेरे साथ क्या नहीं कर सकता था
मगर यार मै तुझसे शादी नहीं कर सकता था
तू बेवफा हे तो कुछ इस तरह बेवफाई कर
मेरे अपनों से जाकर मेरी बुराई कर
और मै खुद्दार था जो तुझसे लड़ नहीं पाया
जा अपने नए आशिक़ से जाकर लड़ाई कर
वक़्त मिले तो कुछ मोहब्बत की भी पढाई कर
तू बेवफा हे, तो कुछ इस तरह बेवफाई कर
मेरी मोहब्बत को भी दिल से मिटा दोगी तुम,
अपना सब कुछ अपने सोहर पे लुटा दोगी तुम
पर एक रात मेरा नाम तुम्हारी जुबान पर आएगा
देखना मेरी जान सब कुछ बता दोगी तुम
बता दोगी की तुम्हे इस शादी से कोई ऐतराज नहीं था
सारी गलती मेरी थी वो दगाबाज़ नहीं था





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